मुंबई का फेफड़ा कहा जाने वाला आरे जंगल आज अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। सरकार आरे जंगल को कार शेड बनाने के लिए काट रही है।

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मुंबई का फेफड़ा कहा जाने वाला आरे जंगल आज अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। सरकार आरे जंगल को कार शेड बनाने के लिए काट रही है।

5 ,December 2019

आरे जंगल का महत्तव?
4 अक्टूबर को बम्बई हाई कोर्ट ने कहा आरे जंगल नहीं है। में पूरी तरह इस बात से सहमत हूं कि आरे एक जंगल नहीं है अपितु एक संपूर्ण जैव विविधता है। आरे जंगल के भीतर लगभग 25 से अधिक छोटे-बड़े गांव हैं और इन गांवों में सदियों से तकरीबन 5,000 आदिवासी रहते है। इस जंगल में लगभग 5 लाख से अधिक पेड़ है,50 से अधिक अलग अलग जानवर है। आरे जंगल में कुछ लुप्तप्राय जानवर भी पाए जाते है।सबसे महत्वपूर्ण बात आरे जंगल मीठी नदी का जलग्रह है और इसी कारण मुंबई शहर हर वर्ष अत्यधिक जलमग्न होने से बचता है। इतने सारे रहस्य को छुपाए बैठा है आरे जंगल।

क्या हम विकास विरोधी है?
हमारा ये मानना है कि पर्यावरण संरक्षण खुद में एक विकास का पैमाना है। हम सभी चाहते है कि मेट्रो का निर्माण जल्द से जल्द हो,जिससे मुंबई के आम नागरिकों को आवागमन में सुविधा मिल सके। हम अंतिम मील कनेक्टिविटी में विश्वास रखते है।

#AareyBhiMetroBhi

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Aman Banka and Amarendra during a Talk Show at Republic Channel on Aarey Forest. Image Credit - Republic Channel

परंतु प्रश्न ये है कि हम कैसा विकास चाहते है? विकास की आड़ में हम मौत को आमंत्रण तो नहीं दे रहे? देश- दुनिया में कई ऐसे शहर है जो विकास की आड़ में खुद को बर्बाद कर बैठे। साउथ अफ्रीका का शहर केप टाउन में पानी के लिए त्राहि त्राहि मच रखा हैं। आने वाले कुछ सालों में जकार्ता इंडोनेशिया की राजधानी नहीं रहेगा, इसके पीछे की वजह है जलवायु परिवर्तन। इसलिए हमें इस विकास के मॉडल को छोड़ कर सतत विकास की ओर ध्यान देना होगा।

 क्या आरे जंगल में कार शेड का निर्माण अवैध है?

सरकार के खुद के रवैए से ये पाक साफ होता है कि आरे जंगल में कार शेड का निर्माण अवैध है। पहले आरे जंगल का क्षेत्र नो-डेवलपमेंट जॉन में था,परंतु सरकार ने इसे डेवलपमेंट जॉन में तब्दील कर दिया और दूसरा ये क्षेत्र इको सेंस्टिव जॉन में है। इस क्षेत्र में कार्य करना पर्यावरण संरक्षण अधिनियम,1986 का उलंघन है।

कैसे पहुंचा ये मामला उच्चतम न्यायालय तक?

आरे जंगल को बचाने का प्रयास आज से नहीं बल्कि कई सालो से किया जा रहा है। मुंबई के नागरिक कई बार सड़क पर उतर कर इसका विरोध भी कर चुके है। लेकिन हर बार सरकार इस विरोध को कुचल देती है। 4 अक्टूबर को जब बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा  इससे संबंधित सभी याजिकाओ को  खारिज कर दिया उसके कुछ घंटे बाद ही बीएमसी ने पेड़ काटना शुरू कर दिया। इसका विरोध करने गए नागरिकों को मुंबई पुलिस ने गैर जमानती वारंट की धाराएं लगा कर अरेस्ट कर लिया। इसके बाद लॉयड लॉ कॉलेज के एक छात्रो का समूह जिसकी अगुवाई ऋषव रंजन कर रहे थे,उन्होंने मुख्य न्यायधीश को पत्र लिख कर इस मुद्दे पर कार्यवाही करने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को संज्ञान में लिया और 2 जज बेंच की एक कमिटी का गठन किया। 7 अक्टूबर को ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लिस्ट हुआ और सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई तक यथास्थिति बरकरार रहे। अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को है।

Author
अमन बंका
(Part of the student delegation)